जब 1960 के दशक में दिलीप कुमार बने कातिल

When Dilip Kumar turned murderer in 1960s - OldisGold
दोस्ती(1964) फिल्म करने के बाद कहा गुम हो गए दोनो कलाकार आज भी हैं लोगो के चहीते सुशील कुमार और सुधीर कुमार सावंत ! आपको जानकर हैरानी होगी कि जब दोनों सितारे इस फिल्म के बाद किसी और फिल्म में नज़र नहीं आए, तो एक ख़बर आग की तरह पूरे देश में फ़ैल गई कि दोनों ही स्टार्स की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई और इसके पीछे नाम लगाया गया मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का. जबकि आपको बता दें कि यह एक महज़ अफ़वाह थी, न ही दोनों सितारों की मौत हुई थी और न ही इसके पीछे दिलीप कुमार का कोई हाथ था.

यह फिल्म कितनी बेहतरीन है इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इस फिल्म को उस साल का नेशनल अवॉर्ड फॉर बेस्ट फीचर फिल्म इन हिंदी का अवार्ड मिला. इसके अलावा फिल्म को 1965 में फिल्मफेयर के बेस्ट फिल्म, बेस्ट स्टोरी, बेस्ट डायलॉग्स, बेस्ट म्युज़िक डायरेक्शन जैसे अवॉर्ड्स मिले. फिल्म में 6 गाने थे, जिसमें से 5 मोहम्मद रफी और एक लता मंगेशकर ने गाया था. उसके गाने चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे, राही मनवा दुःख की चिंता, कोई जब राह न पाए, मेरा जो भी कदम है, जानेवालों ज़रा मुड़के देखो यहां आज भी उतने ही मशहूर हैं

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