मधुबाला की छुपी बीमारी: ‘मुगल-ए-आज़म’ के दौरान दर्द सहकर किया अभिनय

मधुबाला, जिन्हें भारतीय सिनेमा की सबसे खूबसूरत अदाकारा कहा जाता है, उनकी ज़िंदगी जितनी चमकदार दिखती थी, उतनी ही दर्दभरी भी थी। जब वह ‘मुगल-ए-आज़म’ की शूटिंग कर रही थीं, तब वह गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। खासकर, प्रतिष्ठित ‘मूरत’ (पत्थर मारने का दृश्य) फिल्माते समय उनकी हालत बेहद खराब थी।
संक्षेप में
- बीमारी: जन्म से ही हृदय रोग था, लेकिन करियर पर असर नहीं पड़ने दिया।
- ‘मुगल-ए-आज़म’ की शूटिंग: पत्थर मारने वाले दृश्य में असली दर्द सहा।
- डॉक्टरों की चेतावनी: आराम की सलाह दी, लेकिन काम जारी रखा।
- करियर का अंत: बीमारी बढ़ती गई, फिल्मों से दूरी बनानी पड़ी।
छुपी बीमारी, अनकही तकलीफ
मधुबाला को जन्मजात हृदय रोग था। यह एक गंभीर बीमारी थी, जिससे सांस लेने में परेशानी होती थी। डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने अपने करियर को कभी ठहरने नहीं दिया। वह अपने दर्द को छुपाकर मुस्कुराती रहीं।
‘मुगल-ए-आज़म’ के दौरान संघर्ष
इस ऐतिहासिक फिल्म में अनारकली का किरदार निभाना उनके लिए आसान नहीं था। खासतौर पर ‘मूरत’ सीन में जब सलीम (दिलीप कुमार) को उन पर पत्थर बरसाते दिखाया गया, तब वह वास्तव में दर्द में थीं। शूटिंग के दौरान भारी लोहे की जंजीरों में जकड़ी गईं। कई घंटों तक उसी स्थिति में रहीं, जिससे उनकी तकलीफ और बढ़ गई।
डॉक्टरों ने दी चेतावनी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी
उनकी बीमारी बढ़ती जा रही थी। सांस फूलना, थकान और कमजोरी लगातार बढ़ रही थी। डॉक्टरों ने सख्त चेतावनी दी, लेकिन मधुबाला ने ‘मुगल-ए-आज़म’ पूरी करने की ठान ली। जब फिल्म 1960 में रिलीज़ हुई, तब तक उनकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी।
करियर का अंत और दर्दभरे आखिरी दिन
1960 के बाद उनकी सेहत लगातार गिरने लगी। फिल्म इंडस्ट्री से धीरे-धीरे दूरी बनानी पड़ी। 1969 में मात्र 36 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।