स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना: कैप्टन लक्ष्मी सहगल

स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना: कैप्टन लक्ष्मी सहगल

कैप्टन लक्ष्मी सहगल का जीवन संघर्ष, साहस और देशभक्ति की मिसाल है। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी काम किया।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्टूबर 1914 को मद्रास (अब चेन्नई) में हुआ था। वे पढ़ाई में उत्कृष्ट थीं और डॉक्टर बनने का सपना देखा। उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और बर्मा (अब म्यांमार) में चिकित्सक के रूप में काम करने लगीं।

आईएनए और नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ाव

1942 में जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘आज़ाद हिंद फौज’ (INA) का गठन किया, तो लक्ष्मी सहगल उनसे प्रभावित हुईं। उन्होंने महिलाओं के लिए ‘झांसी की रानी रेजिमेंट’ की कमान संभाली, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी का ऐतिहासिक उदाहरण बना।

The inspiring life of Captain Lakshmi Sahgal - Old is Gold Films | oldisgold.co.in
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भारत की आज़ादी के बाद का योगदान

स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने सामाजिक कार्य जारी रखा। उन्होंने गरीबों के लिए चिकित्सा सेवाएं दीं और 2002 में भारत की पहली महिला राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं।

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