गुजिया: होली की मिठास का ऐतिहासिक सफर

गुजिया: होली की मिठास का ऐतिहासिक सफर

गुजिया: होली की मिठास का ऐतिहासिक सफर

होली का त्योहार रंगों और उमंग का प्रतीक है। इस अवसर पर बनने वाली मिठाइयों में गुजिया का विशेष स्थान है। यह पारंपरिक मिठाई सदियों से होली का अभिन्न हिस्सा रही है। इसकी मिठास और स्वाद इसे खास बनाते हैं। आइए, इसके इतिहास और होली से इसके संबंध पर एक नजर डालते हैं।

गुजिया की उत्पत्ति और विकास

गुजिया की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न मत हैं। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इसकी शुरुआत 13वीं शताब्दी में हुई, जबकि अन्य इसे 17वीं शताब्दी का मानते हैं। एक मान्यता के अनुसार, इसका संबंध बृज क्षेत्र और भगवान श्रीकृष्ण से है। चूंकि बृज में होली का विशेष महत्व है, इसलिए यह मिठाई इस उत्सव का हिस्सा बन गई।

कुछ विद्वानों का मानना है कि गुजिया की प्रेरणा तुर्किये की प्रसिद्ध मिठाई ‘बकलावा’ से मिली। बकलावा में आटे की परतों के बीच ड्राई फ्रूट्स, चीनी और शहद की फिलिंग होती है, जो गुजिया से मेल खाती है। संभवतः इसे देखकर ही भारतीयों ने गुजिया बनाने की परंपरा शुरू की।

भारत में गुजिया का इतिहास बुंदेलखंड क्षेत्र से जुड़ा है। 16वीं शताब्दी में पहली बार मैदे की परत में खोया भरकर इसे तैयार किया गया। बाद में यह मिठाई उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में लोकप्रिय हो गई।

Chandrakala or Gujiya - Old is Gold Films
Chandrakala or Gujiya

होली और गुजिया का संबंध

होली के त्योहार पर गुजिया का विशेष महत्व है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा पर सबसे पहले बृज में भगवान श्रीकृष्ण को इस मिठाई का भोग लगाया जाता था। धीरे-धीरे यह परंपरा आम लोगों तक पहुंची और होली पर गुजिया बनाने का रिवाज बन गया।

इसका आधा चंद्राकार आकार और मीठा स्वाद इसे त्योहार के लिए आदर्श बनाते हैं। पहले गांवों में महिलाएं एक साथ मिलकर गुजिया बनाती थीं। इससे आपसी एकता और सहयोग की भावना बढ़ती थी।

गुजिया का सांस्कृतिक महत्व

गुजिया केवल एक मिठाई नहीं है, बल्कि यह पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। होली के दौरान इसे घर-घर में बनाया जाता है। इससे परिवार के सदस्य एक साथ मिलते हैं और प्रेम एवं सहयोग की भावना मजबूत होती है।

यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। यही कारण है कि गुजिया न सिर्फ स्वाद में मीठी होती है, बल्कि यह रिश्तों में भी मिठास घोलती है। इसका इतिहास और होली से संबंध हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है।

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