बॉलीवुड के सुनहरे युग की बात करें तो कुछ नाम ऐसे हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। सलीम-जावेद का नाम उसी श्रेणी में आता है। ये वो जोड़ी थी जिसने भारतीय सिनेमा को एक नया चेहरा दिया, और अमिताभ बच्चन जैसे सितारों को “एंग्री यंग मैन” के रूप में पहचान दिलाई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस जोड़ी का मेहनताना बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों से भी ज़्यादा था?
सलीम-जावेद की शुरुआत
सलीम खान और जावेद अख्तर, ये दो नाम मिलकर बने सलीम-जावेद। 1970 के दशक में, जब बॉलीवुड में कहानीकारों की उतनी पहचान नहीं होती थी, तब इन दोनों ने मिलकर ऐसी कहानियाँ लिखीं जिन्होंने पूरे इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया। इनकी कहानियाँ सिर्फ मनोरंजन नहीं थीं, बल्कि समाज की वास्तविकताओं का आईना भी थीं।
“एंग्री यंग मैन” का उदय
अमिताभ बच्चन को “एंग्री यंग मैन” के रूप में जो पहचान मिली, उसका श्रेय सलीम-जावेद को जाता है। जंजीर (1973), दीवार (1975), शोले (1975), और त्रिशूल (1978) जैसी फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, बल्कि अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बना दिया। लेकिन इन फिल्मों की सफलता के पीछे सलीम-जावेद की कलम का जादू था।
मेहनताना: अभिनेता से भी अधिक
सलीम-जावेद की स्क्रिप्ट्स की मांग इतनी बढ़ गई थी कि वे बॉलीवुड के सबसे महंगे लेखकों में शुमार हो गए। उनकी फीस उस समय के सबसे बड़े सितारों से भी अधिक हो गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, सलीम-जावेद का मेहनताना अमिताभ बच्चन से भी ज़्यादा था। जहां एक ओर अमिताभ बच्चन उस समय के सबसे बड़े स्टार थे, वहीं सलीम-जावेद ने यह साबित कर दिया कि कहानीकार की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है जितनी कि एक अभिनेता की।
सलीम-जावेद का मेहनताना उस समय के दूसरे बड़े सितारों जैसे ऋषि कपूर और राजेश खन्ना से लगभग 110% अधिक था। यह अपने आप में एक बड़ी बात थी, क्योंकि उस समय स्टारडम का मतलब अभिनेता का ऊँचा कद माना जाता था। लेकिन सलीम-जावेद ने दिखाया कि एक अच्छी कहानी के बिना कोई भी फिल्म अधूरी है।
बॉलीवुड में बदलाव की शुरुआत
सलीम-जावेद ने केवल कहानियाँ नहीं लिखीं, बल्कि उन्होंने बॉलीवुड में कहानीकारों की अहमियत को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि कहानी ही फिल्म की आत्मा होती है और एक अच्छी कहानी के बिना कोई भी फिल्म सफल नहीं हो सकती। उनकी सफलता ने आने वाले लेखकों के लिए रास्ते खोले और बॉलीवुड में लेखकों की फीस और सम्मान में बढ़ोतरी की।
निष्कर्ष
सलीम-जावेद की जोड़ी भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर है। उन्होंने सिर्फ फिल्मों की कहानियाँ नहीं लिखीं, बल्कि उन्होंने उन कहानियों के माध्यम से समाज को भी एक नया दृष्टिकोण दिया। उनकी सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि एक अच्छी कहानी के बिना फिल्में अधूरी हैं, और इसलिए सलीम-जावेद का मेहनताना बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों से भी ज़्यादा होना एक स्वाभाविक बात थी।
आज भी, सलीम-जावेद की कहानियाँ और उनके द्वारा बनाए गए किरदार भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर हैं। उनकी कलम का जादू और उनकी मेहनत का फल हमें आज भी याद दिलाता है कि कहानीकारों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है।