भरतनाट्यम की उत्पत्ति

भरतनाट्यम: भारत का प्राचीन शास्त्रीय नृत्य
भरतनाट्यम भारत के सबसे प्राचीन शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। इसकी जड़ें दक्षिण भारत के मंदिरों से जुड़ी हैं। यह सिर्फ एक नृत्य नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना थी, जिसे मंदिरों में देवताओं की भक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जाता था।

भरतनाट्यम का आरंभिक स्वरूप
इस नृत्य का उल्लेख नाट्यशास्त्र में मिलता है। पहले यह केवल मंदिरों में देवदासियों द्वारा किया जाता था। उनके माध्यम से यह नृत्य धार्मिक अनुष्ठानों और कथाओं का एक प्रमुख हिस्सा बन गया।

भरतनाट्यम का पुनरुद्धार
ब्रिटिश शासन के दौरान इस कला को हतोत्साहित किया गया, लेकिन 20वीं सदी में इसे फिर से पहचान मिली। प्रसिद्ध नृत्यांगनाओं ने इसे मंच तक पहुंचाया और इसे एक प्रतिष्ठित कला के रूप में स्थापित किया।

आधुनिक भरतनाट्यम
आज भरतनाट्यम को पूरी दुनिया में सराहा जाता है। यह केवल नृत्य नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। “Old is Gold Films” ने कई बार भारतीय शास्त्रीय नृत्य की महत्ता को दर्शाया है, जो इसकी ऐतिहासिक यात्रा को और खास बनाता है।