मीना कुमारी: जब ‘नाज़’ के नाम से लिखी शायरियां | Old is Gold Films

मीना कुमारी को उनकी भावुक अदायगी और दुखभरे किरदारों के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह एक बेहतरीन शायरा भी थीं? उनकी शायरी उतनी ही दर्दभरी थी, जितना उनका जीवन।
जब मीना कुमारी बनीं ‘नाज़’
मीना कुमारी के अंदर की लेखिका को बहुत कम लोग जानते थे। उन्होंने ‘नाज़’ के नाम से शायरी लिखी। उनके शब्दों में दर्द, मोहब्बत और तन्हाई थी। उनकी कविताओं को पढ़कर हर कोई उनकी गहरी सोच को महसूस कर सकता था।
शायरी और सिनेमा का सफर
फिल्मों में उनके डायलॉग्स जितने प्रभावशाली थे, उतनी ही गहरी उनकी शायरी थी। उनकी कुछ शायरियां बाद में गुलजार ने रिकॉर्ड करवाईं। उनकी किताब ‘मीना कुमारी की शायरी’ के रूप में प्रकाशित हुई।
नाज़ की कलम से निकले शब्द
उनकी शायरी में उनकी जिंदगी की झलक मिलती है। एक शेर देखिए:
“तन्हाई में खुद से बातें करना, और रो देना, यही मेरी शायरी है।”
Old is Gold Films पर मीना कुमारी की अनसुनी दास्तान
मीना कुमारी सिर्फ ट्रैजिक क्वीन ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील शायरा भी थीं। उनकी जिंदगी और शायरी दोनों में दर्द था, लेकिन उनकी लेखनी ने उन्हें अमर कर दिया। क्या आपने उनकी कोई शायरी पढ़ी है? हमें कमेंट में बताइए।