मन्ना डे ,का जन्म 1 मई 1919 मैं हुआ था,जिन्हें प्यार से मन्ना दा के नाम से भी जाना जाता है, फिल्म जगत के एक सुप्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक थे। उनका वास्तविक नाम प्रबोध चन्द्र डे था|
मन्ना दा ने सन् 1942 में फ़िल्म तमन्ना से अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की और 1942 से 2013 तक लगभग 3000 से अधिक गानों को अपनी आवाज दी।मुख्यतः हिन्दी एवं बंगाली फिल्मी गानों के अलावा उन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं में भी अपने कुछ गीत रिकॉर्ड करवाये।शास्त्रीय संगीत की दुनिया के सम्राट मन्ना डे को कहा जाता है |
भारतीय संगीत की जानी मानी आवाजों में से एक मन्ना डे आज दुनिया से रूखसत हो गए। बावजूद इसके मो.रफी, मुकेश, हेमंत कुमार, तलत महमूद और किशोर कुमार की तरह मन्ना डे भी संगीत संसार में हमेशा मौजूद रहेंगे।
संगीत के सफर में मन्ना डे ने लोकगीत से लेकर पॉप तक हर तरह के गीत गाए और देश विदेश में संगीत के चाहने वालों को अपना मुरीद बनाया। ‘चाहे वो मेरी सूरत तेरी आंखें का’ ‘पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई’ हो या दिल ही तो है का ‘लागा चुनरी में दाग’,बुढ्ढा मिल गया का ‘आयो कहां से घनश्याम’ या बसंत बहार का ‘सुर न सजे’ जैसे हर गाने पर मन्ना डे अपनी छाप छोड़ जाते थे।
उन्होंने हिन्दी के अलावा बंगाली, मराठी, गुजराती, मलयालम, कन्नड और असमिया भाषा में भी गीत गाए। हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति ‘मधुशाला को भी उन्होंने अपनी आवाज दी।सरकार ने उन्हें 1971 में पद्मश्री अवार्ड, 2005 पद्म भूषण अवार्ड व वर्ष 2007 में दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया। मन्ना डे ने आनंद प्रकाशन के अंतर्गत वर्ष 2005 मे बांग्ला भाषा में अपनी आत्मकथा जीवनेर जलसाघरे लिखी है। हालांकि बाद में यह आत्म कथा अंग्रेजी, मराठी भाषा में भी प्रकाशित हुई |