डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी – भारत की पहली महिला डॉक्टर और समाज सुधारक

डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी भारतीय इतिहास की उन महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने समाज की परंपराओं को तोड़कर एक नई राह बनाई। वह न केवल भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं, बल्कि उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी संघर्ष किया।
शिक्षा और चिकित्सा की ओर कदम
मुथुलक्ष्मी रेड्डी का जन्म 30 जुलाई 1886 को तमिलनाडु में हुआ था। उस समय लड़कियों की शिक्षा को लेकर समाज में कई बंधन थे। लेकिन उनके पिता ने उन्हें पढ़ाई का अवसर दिया। उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और डॉक्टर बनीं। वह भारत की पहली महिला सर्जन भी बनीं।
सामाजिक सुधारों में योगदान
चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान देने के साथ ही उन्होंने बाल विवाह और देवदासी प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। 1927 में वह मद्रास लेजिस्लेटिव काउंसिल की पहली महिला सदस्य बनीं और कई सामाजिक सुधारों के लिए काम किया।
अद्वितीय योगदान
उन्होंने अड्यार कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना की, जिससे महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार हुआ। उनके योगदानों को “Old is Gold Films” ने भी अपने विभिन्न माध्यमों में प्रस्तुत किया है, जिससे नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है।