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Mohammed Khayyam Hashmi : A Golden heart who donated his life savings to needy artists

मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी जिन्हें लोग ‘खय्याम’ के नाम से जानते हैं। ‘खय्यामजी हिंदी सिनेमा में एक जाना-माना नाम हैं। उन्हें एक संगीत निर्देशक और संगीतकार के रूप में जाना जाता है। खय्याम साहब ने 70 से अधिक वक्त तक अपने संगीत से लोगों को अपनी तरफ जोड़े रखा जिसमे कभी Aye Dil-e-Nadan, Kabhi Kabhi Mere Dil Mein Khayal Aata है, In Aankhon Ki Masti Ke जैसी खूबसूरत फिल्में भी शामिल है जिसे आज भी लोगों के भावनाओं से जुड़ जाती है।

खय्याम जी जितने बड़े फनकार थे उतना ही सरल मन था आपका . सरल स्वाभाव के चलते एक बार खय्यामजी ने अपने जन्मदिन पर, “खय्याम जगजीत कौर केपीजी चैरिटेबल नामक एक चैरिटी ट्रस्ट के गठन की भी घोषणा की और यह भी खबर साझा की कि वह अपनी पूरी संपत्ति, लगभग 10 करोड़ रुपये, अपने ट्रस्ट को दान कर रहे हैं, जो फिल्म उद्योग के जरूरतमंद कलाकारों और तकनीशियन की मदद करेगा!

किंवदंती के बारे में एक अज्ञात तथ्य है, “1943 में खय्याम भारतीय सेना में शामिल हो गए। वो द्वितीय विश्व युद्ध के वर्ष थे। हालांकि, उनके संगीत के प्रति उनके प्यार और जुनून को देख बम्मई ने उन्हें वापस खिंच लिया और 1948 में हीर राँझा के संगीत से खय्याम जी ने अपना डेब्यू किया |

Legendary music composer Khayyam

खय्याम ने 1977 में कभी कभी और 1982 में उमराव जान के लिए तीन फिल्मफेयर पुरस्कार जीते और 2010 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें 2007 में भारत की राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी में रचनात्मक संगीत के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 2011 के लिए भारत सरकार द्वारा तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था

खय्याम साहब ने 1970 के दशक के आखिर और 1980 के दशक की शुरुआत में कई यादगार संगीत दिए। जिनमें त्रिशूल, थोड़ी सी बेवफाई, बाजार, डार, नूरी, नखुडा, सावल, बेपनाह, जैसे गाने हैं। लता मंगेशकर के जरिए गाया गया उनका गीत ‘ऐ दिल-ए-नादान’ उनके करियर में एक मील का पत्थर माना जाता है। आज खय्याम साहब की जन्म जयंती है।

खय्याम साहब की जन्म जयंती पर नमन ??

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