कैसे भारत अपने प्राकृतिक धरोहर को संजो रहा है?

भारत प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता से समृद्ध देश है। यहाँ ऊँचे पर्वत, घने जंगल, पवित्र नदियाँ और अनगिनत वनस्पतियाँ मौजूद हैं। लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण इनकी रक्षा करना आवश्यक हो गया है। सरकार, स्थानीय समुदाय और पर्यावरण प्रेमी मिलकर प्राकृतिक धरोहर को बचाने के लिए विभिन्न प्रयास कर रहे हैं।
राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के माध्यम से संरक्षण
भारत में 100 से अधिक राष्ट्रीय उद्यान और 550 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य स्थापित किए गए हैं। ये जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों को बचाने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है, जहाँ बाघों की रक्षा की जाती है। सुंदरबन वन्यजीव अभयारण्य बंगाल टाइगर और मैंग्रोव वनों के लिए प्रसिद्ध है। इन उद्यानों में वन्यजीवों के शिकार और अवैध कटाई को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकारी योजनाएँ और पहल
भारत सरकार ने वन्यजीवों और प्रकृति के संरक्षण के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की हैं। प्रोजेक्ट टाइगर 1973 में बाघों की घटती संख्या को रोकने के लिए शुरू किया गया था, जिससे भारत में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई। प्रोजेक्ट एलीफेंट हाथियों के संरक्षण के लिए लागू किया गया। राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) जैव विविधता को बनाए रखने के लिए काम करता है। इसके अलावा, ग्रीन इंडिया मिशन के तहत बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जा रहा है ताकि वन क्षेत्र बढ़ाया जा सके और जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सके।
स्थानीय समुदायों और पारंपरिक ज्ञान का योगदान
स्थानीय समुदाय और आदिवासी समूह पारंपरिक ज्ञान के माध्यम से प्राकृतिक धरोहर को बचाने में मदद कर रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में आदिवासी समुदाय जंगलों की रक्षा कर रहे हैं और औषधीय पौधों का संरक्षण कर रहे हैं। राजस्थान के बिश्नोई समुदाय ने हिरणों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए अपने जीवन तक की आहुति दी है। केरल में पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ जैव विविधता को संरक्षित करने में सहायक हैं।

पारिस्थितिकी पर्यटन और जागरूकता अभियान
पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। कर्नाटक, उत्तराखंड और असम जैसे राज्यों में पर्यावरणीय पर्यटन स्थलों को विकसित किया गया है, जहाँ लोग प्रकृति को करीब से देख सकते हैं और इसके महत्व को समझ सकते हैं। इसके अलावा, विभिन्न एनजीओ और सरकारी संस्थाएँ पर्यावरण जागरूकता अभियान चला रही हैं। स्कूलों और कॉलेजों में वृक्षारोपण कार्यक्रम, नदी सफाई अभियान और वन संरक्षण से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

जल संरक्षण और नदियों की स्वच्छता के प्रयास
भारत में नदियों को पवित्र माना जाता है, लेकिन शहरीकरण और प्रदूषण के कारण कई नदियाँ दूषित हो रही हैं। इसे रोकने के लिए नमामि गंगे योजना चलाई गई, जिसका उद्देश्य गंगा नदी को स्वच्छ बनाना है। झीलों और तालाबों के पुनर्जीवित करने के लिए कई राज्य सरकारें सक्रिय हैं। राजस्थान में जल संरक्षण के लिए पारंपरिक बावड़ियों को पुनर्जीवित किया जा रहा है।
वनीकरण और ग्रीन इनिशिएटिव्स का विस्तार
भारत में जंगलों के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए वनीकरण और वृक्षारोपण को प्राथमिकता दी जा रही है। मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाए गए हैं। दिल्ली और अन्य महानगरों में शहरी वनों की संख्या बढ़ाने के लिए “सिटी फॉरेस्ट” प्रोजेक्ट को लागू किया गया है।