विविध भारत की विविध नृत्य शैलियां: एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर

भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है, और यहाँ की नृत्य शैलियाँ इस सांस्कृतिक समृद्धि का सुंदर प्रतिबिंब हैं। देश के हर क्षेत्र में अपनी अनूठी नृत्य परंपरा है, जो इसकी लोककथाओं, इतिहास और परंपराओं से जुड़ी हुई है। आइए जानते हैं भारत की प्रमुख नृत्य शैलियों के बारे में।

1. भरतनाट्यम (तमिलनाडु)
भारत की सबसे प्राचीन शास्त्रीय नृत्य शैली, जो मंदिरों में आराधना के रूप में विकसित हुई। इसकी मुद्राएं और अभिव्यक्ति बेहद प्रभावशाली होती हैं।
2. कथक (उत्तर भारत)
मुगल काल में विकसित हुई यह नृत्य शैली भावपूर्ण कथाओं और तेज़ पैरों की गतियों के लिए जानी जाती है। घुंघरू की ध्वनि इसकी खास पहचान है।
3. कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश)
यह नृत्य नाट्य शैली है, जिसमें अभिनय और नृत्य का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है। पारंपरिक रूप से इसे पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाता था।

4. ओडिसी (ओडिशा)
प्राचीन मंदिरों से जुड़ा यह नृत्य अपनी लयबद्धता और भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है। यह नृत्य भगवान जगन्नाथ की भक्ति से प्रेरित है।
5. मणिपुरी (मणिपुर)
यह नृत्य भक्ति प्रधान होता है और राधा-कृष्ण की लीलाओं पर आधारित होता है। इसमें कोमल और लयबद्ध गतियां होती हैं।
6. कथकली (केरल)
रंग-बिरंगे चेहरे, भारी पोशाकें और शक्तिशाली हाव-भाव इस नृत्य को अनूठा बनाते हैं। यह महाकाव्य रामायण और महाभारत की कथाओं को प्रस्तुत करता है।
7. संथाली नृत्य (झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा)
यह एक पारंपरिक जनजातीय नृत्य है, जिसमें सामूहिक तालबद्धता और उत्सव का माहौल देखने को मिलता है।
8. गरबा और डांडिया (गुजरात)
नवरात्रि उत्सव का प्रमुख आकर्षण यह नृत्य है, जिसमें पारंपरिक वेशभूषा और लयबद्ध ताल का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
9. बिहू नृत्य (असम)
फसल कटाई के समय यह नृत्य मनाया जाता है, जिसमें असम की सांस्कृतिक विरासत झलकती है।
10. गिद्दा और भांगड़ा (पंजाब)
भांगड़ा जहां जोश और ऊर्जा से भरपूर है, वहीं गिद्दा पंजाब की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक पारंपरिक नृत्य है, जिसमें लोकगीतों के माध्यम से भावनाएं व्यक्त की जाती हैं।
भारत की इन नृत्य शैलियों की पूरी जानकारी और उनकी दिलचस्प परंपराओं को जानने के लिए नीचे दिए गए वीडियो लिंक पर क्लिक करें।