जब देव आनंद और सुरैया की शादी मुस्लिम-हिंदू विवाद में फंस गई!

देव आनंद और सुरैया: एक अधूरी प्रेम कहानी
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता देव आनंद और उस दौर की मशहूर गायिका-अभिनेत्री सुरैया की प्रेम कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं थी। 1940 के दशक में इन दोनों के बीच गहरी मोहब्बत पनपी, लेकिन यह प्रेम धर्म और परिवार की बेड़ियों में उलझकर अधूरी रह गई।
पहली मुलाकात और प्यार की शुरुआत
देव आनंद और सुरैया की मुलाकात 1948 में फिल्म ‘विद्या’ के सेट पर हुई थी। देव आनंद उस समय इंडस्ट्री में नए थे, जबकि सुरैया पहले से ही बड़ी स्टार थीं। शूटिंग के दौरान दोनों के बीच दोस्ती हुई और जल्द ही यह दोस्ती गहरे प्यार में बदल गई।
कहा जाता है कि फिल्म ‘जीत’ की शूटिंग के दौरान एक सीन में जब देव आनंद ने सुरैया को गोद में उठाया, तो दोनों की नजरें मिलीं और वहीं से एक नई प्रेम कहानी शुरू हो गई। देव आनंद सुरैया के सादगी और आवाज से प्रभावित थे, तो वहीं सुरैया उनकी शालीनता और चार्मिंग पर्सनालिटी पर फिदा थीं।

परिवार की नाराजगी और समाज का हस्तक्षेप
हालांकि, इस प्रेम कहानी की राह में सबसे बड़ी बाधा सुरैया की नानी थीं, जो परिवार की मुखिया थीं। सुरैया का परिवार मुस्लिम था और देव आनंद हिंदू। सुरैया की नानी को यह रिश्ता कतई मंजूर नहीं था।
जब सुरैया ने शादी की इच्छा जताई, तो उनके परिवार ने साफ इनकार कर दिया। कहा जाता है कि एक बार जब देव आनंद ने सुरैया को सोने की अंगूठी देकर शादी के लिए प्रपोज किया, तो सुरैया की नानी ने अंगूठी नदी में फेंक दी।

एक तरफा फैसला और अधूरी मोहब्बत
परिवार के दबाव और समाज के धार्मिक मतभेदों के कारण सुरैया ने अपने प्यार की कुर्बानी दे दी। उन्होंने कभी शादी न करने का फैसला किया और जीवनभर अकेली रहीं।
देव आनंद ने बाद में कल्पना कार्तिक से शादी कर ली, लेकिन उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘Romancing with Life’ में इस बात को स्वीकार किया कि सुरैया से उनका प्यार उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दौर था।
अंतिम विचार
देव आनंद और सुरैया की प्रेम कहानी Old is Gold Films के उस दौर की सबसे चर्चित कहानियों में से एक है। यह सिर्फ एक प्रेम कथा नहीं, बल्कि उस समय की धार्मिक और पारिवारिक सख्तियों का प्रतिबिंब भी है। अगर परिवार और समाज का विरोध न होता, तो शायद बॉलीवुड को एक खूबसूरत कपल देखने को मिलता।