Old is Gold | अमूल गर्ल का रहस्य: कौन थी वो लड़की जिसने भारत के एडवर्टाइजिंग में क्रांति लाई?

Old is Gold | अमूल गर्ल का रहस्य: कौन थी वो लड़की जिसने भारत के एडवर्टाइजिंग में क्रांति लाई?

भारत में अगर किसी ब्रांड का एडवरटाइजिंग कैंपेन सबसे ज्यादा लोकप्रिय और यादगार रहा है, तो वह अमूल गर्ल का है। 1966 से लेकर आज तक, अमूल गर्ल ने हर बड़े सामाजिक, राजनीतिक और मनोरंजन जगत की घटनाओं पर मज़ेदार और व्यंग्यपूर्ण कमेंट्री की है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस आइकॉनिक कैरेक्टर को किसने बनाया?

अमूल गर्ल की शुरुआत कैसे हुई?

1966 में डॉ. वेरघीज कुरियन के नेतृत्व में अमूल ने अपनी ब्रांडिंग को मज़बूत बनाने के लिए एक नए एडवरटाइजिंग कैंपेन की जरूरत महसूस की। उन्होंने यह ज़िम्मेदारी डॉ. सिल्वेस्टर दा कुन्हा और उनकी एड एजेंसी एडवरटाइजिंग एंड सेल्स प्रमोशन (ASP) को सौंपी। इसी दौरान, यूस्टेस फर्नांडिस ने अमूल गर्ल के कैरेक्टर को डिज़ाइन किया।

इससे पहले अमूल का एडवरटाइजिंग पारंपरिक तरीकों से किया जाता था, लेकिन अमूल गर्ल के ज़रिए उन्होंने एक नया तरीका अपनाया—हास्य और व्यंग्य के माध्यम से मार्केटिंग। अमूल गर्ल की पहली टैगलाइन थी “Utterly Butterly Delicious”, जो बाद में ब्रांड की पहचान बन गई।

अमूल गर्ल की पॉपुलैरिटी क्यों बढ़ी?

  • अमूल गर्ल का हर पोस्टर समय की सबसे बड़ी घटनाओं पर व्यंग्य करता था, जिससे लोग इसे तुरंत कनेक्ट कर पाते थे।
  • 70 के दशक में जब बाकी कंपनियां पारंपरिक विज्ञापन बना रही थीं, तब अमूल गर्ल क्रिएटिव और बोल्ड कैंपेन चला रही थी।
  • राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विनम्र लेकिन प्रभावशाली कमेंट्री करने की वजह से लोग इस कैरेक्टर से जुड़ने लगे।

अमूल गर्ल आज भी क्यों प्रासंगिक है?

पिछले 50 सालों से भी ज्यादा समय से, अमूल गर्ल भारतीय संस्कृति और समाज का हिस्सा बनी हुई है। चाहे 1983 का क्रिकेट वर्ल्ड कप हो, नोटबंदी हो या बॉलीवुड में कोई विवाद—अमूल गर्ल का पोस्टर हमेशा चर्चा का विषय बनता है।

निष्कर्ष

अमूल गर्ल सिर्फ एक एड कैरेक्टर नहीं, बल्कि भारत के एडवर्टाइजिंग इतिहास का सबसे क्रिएटिव और प्रभावशाली हिस्सा है। Old is Gold Films के साथ जुड़ें और ऐसे ही अनसुने किस्सों को जानने के लिए हमारे वीडियो देखें!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: