गाना ‘अकेले हैं तो क्या गम है’ फिल्म ‘क़यामत से क़यामत तक’ का एक बहुत प्रसिद्ध गाना है। यह गाना 1988 में रिलीज हुई इस फिल्म का हिस्सा है। इस गाने को आमिर ख़ान और जूही चावला ने अदा किया है। इस गाने के बोल अनंता श्रीराम मीरा ने लिखे हैं और उन्होंने इसे गाया है।
गाना ‘अकेले हैं तो क्या गम है’ का मतलब है कि अगर हम एकल हो तो क्या हुआ, हमें कोई गम नहीं होता। यह गाना दिल के गहरे भावों को छूने वाला है और इसकी धुन और बोल दोनों ही बहुत ही मधुर हैं। इस गाने में प्यार और अकेलापन की भावना को बहुत ही सुंदरता से व्यक्त किया गया है।
इस गाने की शुरुआत एकलता के बारे में बताकर होती है, जहां आमिर ख़ान अकेले बैठे हैं और गीत की सुरीली धुन उनकी आवाज़ के साथ मिलकर एक अद्वितीय अनुभव पैदा करती है। इसके बाद जूही चावला भी उसके पास आती है और दोनों के बीच एक प्यार भरी भेंट होती है। गाने के बोल और संगीत द्वारा यह दिखाया जाता है कि जब दो आत्मा एक हो जाती हैं, तो उन्हें कोई गम नहीं होता।
यह गाना अपनी अद्वितीय धुन और गीत के बोल के लिए बहुत प्रसिद्ध हुआ है। इस गाने का संगीत नौशाद अली ने दिया है और उन्होंने इसे बहुत ही सुंदरता से ढाला है। गाने के बोल और संगीत का मिश्रण एक सुंदर और मनमोहक गाना बनाता है।
इस गाने का वीडियो भी बहुत ही रोमांचक है। इसमें आमिर ख़ान और जूही चावला की अदाकारी देखने लायक है। इस गाने के वीडियो में आमिर ख़ान और जूही चावला का रोमांटिक जुड़ाव और उनकी अदाकारी का जलवा देखने को मिलता है। इस गाने के वीडियो ने लोगों को अपनी ज़िन्दगी के पलों को एक नया दृष्टिकोण दिया है।
गाना ‘अकेले हैं तो क्या गम है’ ने अपनी मधुर धुन और गीत के बोल के लिए लोगों के दिलों में जगह बना ली है। इस गाने की धुन और बोलों की ख़ासियत यह है कि वो लोगों को एक अद्वितीय और प्यार भरी दुनिया में ले जाती हैं। इस गाने को सुनने से लोगों को एक अद्वितीय और ख़ुशी भरी अनुभूति होती है।