एक देश में जहां क्रिकेट को लंबे समय से खिलाड़ियों का राजा माना गया है, वहां फुटबॉल का उदय होने पर एक नया उत्साह और आशा की लहर है। पिछले दशक में, फुटबॉल ने सिर्फ लोकप्रिय मनोरंजन गतिविधि के रूप से स्वस्थ होने के स्थान से बाहर निकलकर एक मजबूत शक्ति बन गया है, जो करोडो लोगों के दिल जीत रहा है और भारत के बदलते खेल मंच में योगदान दे रहा है।
इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) ने इस फुटबॉल क्रांति के लिए एक महत्ता पूर्ण करण प्रदान किया है, यहां पे देशी खिलाड़ियों और अंतरराष्ट्रीय सितारों को अपने हुनर को दिखाने का अवसर मिला है। ये लीग ना केवल भारतीय फुटबॉल के स्टार को ऊंचा कदम पर ले गया है, बल्कि ये भी देखा गया है कि लोगो की देखाभाल में भी वृद्धि हुई है। टीमें जैसी कि बेंगलुरू एफसी, मुंबई सिटी एफसी और एटीके मोहन बागान घर-घर में मशहूर हो गई हैं, जिसकी जगह के गौरव और वफ़ादारी का माहौल बना हुआ है।
जमीनी स्तर की दिशाएं, जो नौजवान फुटबॉल युवा को पालना करते हैं, उसने इस खेल के उदय में एक मुख्य भूमिका निभायी है। देश भर में अकादमियों ने वादों को पहचान कर उनके हुनर को सुधारने का काम किया है, जिसे नए फुटबॉल सितारों का रास्ता खुलता है। सुनील छेत्री जैसे भारतीय खिलाड़ियों की सफलता का कारण है, जो उम्मीदवर फुटबॉल खिलाड़ी एक प्रेरणा के रूप में काम करते हैं, और इस से ये स्थापित हो जाता है कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्टार पर अपना प्रभाव बना सकता है।
अंतरराष्ट्री स्टार पर भारत की भागीदारी और उसके खेल दर्शन ने ध्यान खींचा है। एएफसी एशियन कप और दूसरी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भारत के समर्पण में शामिल होने के लिए जारी हैं, हमारे राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने सबको दिखाया है कि भारत अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों पर अपना प्रभाव बना सकता है।