‘चुप’ और ‘कागज़ के फूल’ का गहरा कनेक्शन – गुरु दत्त की अधूरी कहानी?

‘चुप’ और ‘कागज़ के फूल’ का गहरा कनेक्शन – गुरु दत्त की अधूरी कहानी?

गुरु दत्त की ‘कागज़ के फूल’ (1959) उनकी सबसे व्यक्तिगत और आत्मकथात्मक फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म में उन्होंने एक फिल्ममेकर की दर्दभरी कहानी दिखाई, जिसे समाज और इंडस्ट्री ने ठुकरा दिया। यह फिल्म उनकी ज़िंदगी का आईना थी, जिसे दर्शकों ने उस समय ठुकरा दिया, लेकिन बाद में यह एक क्लासिक बन गई

2022 में आई आर. बाल्की की फिल्म ‘चुप’ इसी भावना को आगे बढ़ाती है। यह फिल्म एक ऐसे कलाकार की कहानी है, जिसे क्रिटिक्स और दर्शकों की बेरुखी का सामना करना पड़ता हैचुप में गुरु दत्त के सिनेमा और उनके दर्द को श्रद्धांजलि दी गई है। फिल्म के कई सीन्स और बैकग्राउंड स्कोर में कागज़ के फूल की झलक मिलती है, खासकर ‘वक्त ने किया क्या हसीं सितम’ गीत की गूंज।

Old is Gold Films के इस वीडियो में जानिए कैसे ‘चुप’ और ‘कागज़ के फूल’ एक-दूसरे से जुड़े हैं और गुरु दत्त की आत्मकथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाते हैंअभी वीडियो देखें!

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