राज कपूर की प्रसिद्ध फिल्म आवारा जो की १९५२ में प्रकाशित हुई, ये फिल्म र आज कपूर की सबसे अहम फिल्म साबित हुई | फिल्म की सफलता ने राज कपूर को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई | फिल्म का शीर्ष गीत ‘आवारा हूँ या गर्दिश में आसमान का तारा हूँ’ … देश -विदेश में बहुत लोकप्रिय हुआ |
राज कपूर की फिल्मो को भारत में हाथो हाथ लिया गया लेकिन जब वह अपनी फिल्म आवारा के प्रीमियर के लिए मास्को पहुंचे तो वहां कुछ ऐसा हुआ जो र आज कपूर एक ही रात के बाद भारत लौटने की तैयारी करने लगे | मास्को में आयोजित अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह में पहली बार भारत को शिरकत करने का मौका मिला | राज कपूर को विश्वास था की देश की तरह विदेश में भी दर्शको द्वारा उसे पूरा सामादर मिलेगा और अंतराष्ट्रीय फलक पर वह पर्याप्त नाम कमा सकेंगी | फिल्म के बजट और क्लेकशन को देखते हुए इसे ब्लॉक् बास्टर फिल्म कहा गया था | इस फिल्म की अभिनेत्री नरगिश थी | जो देखने में बेहद खूब सूरत थी आवारा का प्रदर्शन होने को था , दर्शक राज कपूर के ऐसे दीवाने हो उठे की होटल में घुसना मुश्किल था| प्रवेश मार्ग गीत संगीत झूम रहा था | राज कपूर एक प्रसिद्ध कलाकर थे |
एक ऐसी ही कहानी पचास के दशक में नेहरू के रूस के दौरे पर सरकारी भोज में नज़र आयी, जब नेहरू के बाद वहाँ के प्रधानमंत्री निकोलाई बुल्गानिन ने अपने मंत्रियों के साथ ‘आवारा हूँ’ गा कर उन्हें चकित कर दिया।
1996 में जब राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर और बेटी ऋतु नंदा चीन गए तो उनकी आँखों भी नाम हो गई जब चीनी लोगों उन्हें देखते ही ‘आवारा हूँ’ गाने लगते। रोचक बात ये है कि चीनी लोगो यह पता नहीं था कि ये दोनों राज कपूर के बेटे बेटी थे, लेकिन वो ये गीत गा कर राज कपूर और भारत का सम्मान कर रहे थे। कहा तो ये भी जाता है कि ‘आवारा’ माओ त्से तुंग की पसंदीदा फ़िल्म थी।
“आबाद नहीं, बर्बाद सही, गाता हूँ ख़ुशी के गीत मगर
अनजान मगर सुनसान डगर का प्यारा हूँ, आवारा हूँ !”
जब राज कपूर से उनकी लोकप्रियता का राज़ पूछा गया तब उनने बताया कि एक बार जब राज कपूर लंदन में बीबीसी के बुश हाउश दफ़्तर में आए थे तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा था, “ये सन् 1954 का किस्सा है जब मैं अपनी दो तस्वीरें ले कर रूस गया था। उनमें से एक थी ‘आवारा’। इस तस्वीर से हमारा रूस के लोगों से पहला परिचय हुआ। वो थोड़ा बहुत हिंदुस्तान को जानते थे, लेकिन इन तस्वीरों के ज़रिए वो हिंदुस्तान के और क़रीब आए।”
“आवारा के क़िरदार की शक्लसूरत कुछ राज कपूर जैसी थी, लेकिन दिल उसका अवाम का था, हिंदुस्तान के उस नौजवान का था जो आज तक उसी प्यार से धड़कता है। दरअसल उन्होंने राज कपूर को नहीं अपनाया, उन्होंने हिंदुस्तान के उस नौजवान को अपनाया जिसका दिल बार बार यही कहता था।”